
हरिमोहन तिवारी महासमुंद/सरायपाली: अंचल के ग्राम पैकिन में तिवारी परिवार की महिलाओं ने वट सावित्री व्रत धार्मिक माहौल में पूजा-अर्चना कर मनायाइस अवसर पर निर्जला व्रत रख महिलाओं ने जगह-जगह वट के पेड़ के नीचे पहुंचकर विधि-विधान से पूजन सामग्री रख फेरा लगाकर पति की लंबी आयु की कामना की है और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की है। पूजा-अर्चना के बाद पति की आरती उतारकर उनके हाथों से पानी पिया है।
तिवारी परिवार की मुखिया बुजूर्ग सकूंतला तिवारी ने सनातन संस्कृति व धर्म को बनाए रखने के लिए परिवार की बहूओ को बताया कि व्रत सावित्री का त्योहार सौभाग्यवती महिलाओं ने बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इस त्योहार पर विधि-विधान व नियम से पूजा-अर्चना करने पर सौभाग्य की प्राप्ती होती है।
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सवित्री के पति सत्यावान की जब असमय मृत्यु हुई तब वे वट पेड़ के नीचे गिरे पड़े थे और यहां से ही माता सावित्री ने यमराज का पीछा कर यमराज से अखंड सौभाग्य का फल मांगा था और इस तरह उन्होंने अपने पति को पुन जीवित किया था जिसके बाद से ही वट सावित्री व्रत पर पूजा-अर्चना की जाती है।
उन्होंने बताया की अविवाहित युवतियां भी अपने भावी जीवन को सुखद बनाने के लिए इसकी पूजा-अर्चना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत व सोमवती अमावस्या का व्रत रखने वाली युवतियों को उनके मनवांछित वर व सफल वैवाहिक जीवन की कामना पूरी होती है। जिन युवतियों का विवाह किन्ही कारणों से रुक जाता है।
इस व्रत रखने से उनके विवाह में आने वाली प्रत्येक रुकावट को दूर कर मनवांछित वर प्रदान करता है इसके मूल भाग में भगवान ब्रह्मा, मध्य भाग में भगवान विष्णु और अग्र भाग में भगवान शिव का वास माना गया है। देवी सावित्री भी वट वृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं।
ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। इसीलिए यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है।उस दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या था। इसलिए इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा। सनातन संस्कृति में यह भी माना जाता है कि वट में ब्रह्म, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास है।
पूजा के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण किया जाता है। ग्राम पैकिन के तिवारी की परिवार सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री का व्रत रख पूजा अर्चना की जिसमें पुष्मा, ममता, अजू ,रूपा, पूजा,भारती,रागनी, आदि महिलाएं सामिल हुई।