कोरोना के चलते पहली बार नहीं लगेगा मेला कांदा डोंगर दशहरा

विक्रम कुमार नागेश गरियाबंद। अमलीपदर में कांदाडोंगर के ऐतिहासिक दशहरे मेले में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस बार भीड़ के नहीं होने के कारण पहले जैसी रौनक नजर नहीं आयेगी। मेले आयोजन के लिए औपचारिक तौर पर परंपराओं का निर्वह्न शुरू हो गया है और कोरोना नियमों के चलते 25 अक्टूबर को विजया दशमी दशहरे पर परम्परागत देवी देवताओं का पूजा पाठ तो होगा लेकिन उसमें पहले की तरह लोगों की भीड़ जमा नहीं हो सकेंगी।
अमलीपदर के गोरियारी स्थित दशहरा मेला स्थल पर लगभग पखवाड़े भर चलने वाले मेले में इस बार दुकानें सजने, खरीददारी के लिए भीड़ उमड़ने, श्री कृष्ण रंगमंच पर रामलीला ,व भव्य सांस्कृतिक जैसे आयोजन नहीं होंगे।
84 गढ़ के देवी देवताओं का मिलन इस मेले के प्रमुख आकर्षण के केन्द्र होते थे और उसे देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती थी।अमलीपदर में दशहरा मेला आयोजन की एक सदी से भी ज्यादा पुरानी परंपरा का इस साल कोरोना संक्रमण कहर का निर्वह्न नहीं हो पायेगा।
सोमवार को देव दशहरा पर कोविड़19 का असर देखने को मिलेगा, आज के दिन 84गढ़ के देवी देवता जमा हुआ करते थे, इस देव दसहरा में शामिल होने मैनपुर, देवभोग के अलावा दूर दूर से करीब 10 हजार ग्रामीण जुटेते थे।आज के दिन असुरो से मुक्ति मिली थी।
जिसकी खुसी में स्थानीय खरदूषण राज से मुक्ति की खुशी में इस तरह खुशियां बांटने की परम्परा रही है। माना जाता ह की यह इलाका दण्डकारण्य क्षेत्र के अधीन था, रावण के भाई खरदूषण का साम्राज्य स्थापित था, ऐसी दासता से मुक्ति का त्योहार है। हमेशा की तरह इस दसहरे पर भी असत्य पर सत्य की जीत की खुसी में ग्राम देवी देवता ने आपस मे मिलकर बाटी जाती है।