पंचांग

आज का पंचांग – 27 अगस्त 2025 (गणेश चतुर्थी),गणपति जी को प्रसन्न करने के उपाय और पूजा विधि

तिथि और समय
चतुर्थी तिथि: प्रारंभ — 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे; समाप्त — 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे

मध्याह्न पूजा मुहूर्त (शुभ समय)
11:05 AM से 1:40 PM — ग्रहणीय अवधि (लगभग 2 घंटे 35 मिनट)

राहुकाल (अशुभ काल)
12:22 PM से 1:59 PM — इस अवधि में पूजा एवं शुभ कार्य नहीं करना चाहिए

सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: 5:57 AM
सूर्यास्त: 6:48 PM

नक्षत्र और अन्य पंचांग विवरण
चंद्रमा हस्त नक्षत्र में था (प्रातः 6:04 तक), फिर चित्रा नक्षत्र में

राजा (गणपति) की कृपा के लिए ‘सिद्धि विनायक व्रत’ का दिन भी माना जाता है

1. पूजा विधि – संक्षेप में गणपति जी को प्रसन्न करने के उपाय और पूजा विधि

सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
गणपति की मूर्ति/प्रतिमा घर के पूर्व या ईशान्य दिशा (पूजास्थान के अनुरूप) रखें।
दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, मोदक, फल, विधि सामग्री तैयार रखें।
मंत्र जाप जैसे ‘ॐ गण गणपतये नम:’ या ‘ॐ गं गणपतये वरवरद सर्वज… ‘ करें।
आरती के दौरान मधुर गीत और भजन गाएं।
भोग (प्रसाद) में मोदक, फल, लड्डू शामिल करें।
पूजा के अंत में प्रसाद ग्रहण करें और गणपति बप्पा का ध्यान करें।
10 दिनों तक (अथवा 1, 3, 5, 7, 11 दिनों तक) सेवा या व्रत रखना, Anant Chaturdashi पर विसर्जन करना शुभ माना जाता है

2. अतिरिक्त शुभ वस्तुएँ (भारतीय महत्व के अनुसार)

रिपोर्ट के अनुसार, पारंपरिक भोग के अतिरिक्त ये पांच चीज़ें बहुत शुभ मानी जाती हैं—
पीले चावल (1.25 किग्रा) – समृद्धि और पवित्रता के प्रतीक
नारियल – समर्पण और अहंकार भगाने का द्योतक
गुड़ (शक्कर) – मिठास, प्रचुरता, उर्वरता दर्शाने वाला
कमल (पद्म) – आध्यात्मिक शुद्धि और प्रकाश का प्रतीक
केले का पत्ता – पारंपरिक, पर्यावरण-अनुकूल नैवैद्य आधार के लिए

निष्कर्ष में
शुभ समय (मुहूर्त): 11:05 AM – 1:40 PM, मगर इस अवधि के बीच राहुकाल (12:22 – 1:59 PM) से बचें।
पूजा विधि सरल लेकिन प्रभावशाली हो — सफाई, सजावट, मन से भक्ति और प्रसाद शामिल करें।
विशेष योगदान के लिए पीले चावल, नारियल, गुड़, कमल और केला का पत्ता अर्पित करें।
स्थापना और आराधना के बाद “गणपति बप्पा मोरया, अगले दस दिनों में फिर मिलेंगे” की भक्ति भाव से आह्वान करें।

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