जान जोखिम में डालकर कुडेकेल के ग्रामीण करते हैं पुल पार, पुरंदर मिश्रा पहुंचे जायजा लेने

देशराज दास बसना । छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन की सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सड़क और पुलियों की निर्माण कराती है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार के चलते गुणवत्ताहीन कार्यों का खामियाजा आम ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है, इसका उदाहरण महासमुंद जिले के बसना ब्लाक में देखने को मिल रहा है।
बसना मुख्यालय से जोड़ने वाली मुख्य कुडेकेल नाला धसकने से ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे है, विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को समस्याओं का भली-भांति ज्ञात हैं लेकिन कोई भी ग्रामीणों की समस्या जानने नहीं पहुंचा। भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेष बघे पुल बनाने के लिए किये थे घोषणा
आपको बता दें कि विगत 16-17 वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के ठेकेदार और अधिकारियों की मनमाने ढंग से गुणवत्ताविहीन पुलिया का निर्माण किया गया था, जो महज 8-9 वर्षो में ही पुल की हालत नाजुक होकर धसकना चालू हो गया था, जिसकी जानकारी विभागीय अधिकारी व जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण अपनी समस्याओं के साथ अवगत करा चुके हैं लेकिन अब तक ग्रामीणों की कोई सुनवाई नही हुई है.
कई वर्ष बीत गए ग्रामीणों के आवागमन के लिए नये पुल या मरम्मत की कोई कार्ययोजना प्रशासन स्तर पर नहीं बनायी गई। वर्तमान में पुलिया बहुत क्षतिग्रस्त हैं पुलिया का एक हिस्सा टूट कर 2 फिट नीचे झुक चुका हैं, नीचे का हिस्सा जर्जर होकर गिरने के कगार में हैं, विभाग किसी प्रकार का संकेतक या सूचना पटल नहीं लगाया है शायद बड़ी जनहानि दुर्घटना का इंतजार कर रही हो?
पुल धसकने से कुडकेल, जमड़ी, पोटापारा, बिछिया, सिरको और सराईपाली सहित दर्जनों गांव के हजारों लोगों की संपर्क मुख्यालय से टूटने जैसी हो गई हैं, सिर्फ दो पहिया वाहन अपनी जान जोखिम में डालकर पुलिया को पार कर रहे हैं, दूसरी रास्ता की अगर बात कही जाए तो वो 15 से 20 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी पड़ता हैं…!
ग्रामीणों का कहना हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य और किसानी की अगर बात कही जाये तो कुडेकेल सहित अनेको गांव बहुत परेशान हैं, बारिश के दिनों में बच्चे स्कूल जा नही सकते, गंभीर जटिल बीमारी या डिलीवरी पेशेंट के लिए एम्बुलेंस व चार पहिया वाहन गांव नही पहुंच पाता …..!
ग्राम कुडकेल के ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2005-06 में कुडेकेल नदी में पुलिया निर्माण का कार्य किया था। पुलिया निर्माण कार्य के समय ठेकेदार को कार्य के गुणवत्ता और नदी के पुल या ब्रिज निर्माण में बड़े-बड़े लोहे का उपयोग, कालम, नींव की गहराइयों अधिक होती है कहकर पूछा गया तो ठेकेदार और इंजीनियर ने ऐसे ही निर्माण करने के लिये इस्टीमेट दिए है।
और आप हमें मत सिखाइये कहा गया। और मनमाने ढंग से गुणवत्ताविहीन घटिया पुल का निर्माण किया गया जो महज महज 8-9 वर्षो में ही जर्जर हो गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान फूल निर्माण करने की घोषणा किए थे.वही जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या पर बात करना जरूरी नही समझ रहे हैं।
वह इस पूरे समस्या को देखते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री दर्जा पुरंदर मिश्रा उक्त स्थल पर निरीक्षण कर ग्रामीणों के साथ संवाद किया और उनकी परेशानियों और समस्याओं का जायजा लिया साथ ही कलेक्टर और सचिव को अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलकर ग्रामीणों को समस्याओं से अवगत कराकर समस्याओं का निराकरण करने की बात कही है।