शासन द्वारा शिक्षा को बेहतर बनाने काफी प्रयास कर रही है। लेकिन यह सब कागजों तक ही सीमित है। जमीनी स्तर पर हकीकत ये है कि अंचलों में स्कूल का हाल बदहाल है।

पिथौरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत साईं सरायपाली के आश्रित ग्राम झपिमौहा मे एक ही कक्ष निर्मित है, जिसमें कक्षा पहली से पांचवीं तक के छात्रों को एक ही कक्ष मे पढ़ाया जाता है, या फिर स्कूल परिसर के खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जाता है।
बता दें कि झापिमौहा शाला परिसर में एक अतिरिक्त कक्ष की स्वीकृति वर्ष 2012-13 मे हुई थी, जिसको शासन द्वारा आज दिनांक तक पूर्ण नहीं किया गया है। पंचायत के ग्राम सभा मे इस विषय को लेकर कई बार चर्चा भी हुई एवं स्कूल समिति के सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित कर कई बार सरपंच एवं सचिव के माध्यम से शासन को अवगत कराया गया परन्तु भवन निर्माण को लेकर संबंधित अधिकारी किसी प्रकार की कार्यवाही करने से बचते रहे।
गांव के साहनी पारेश्वर शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष, धनसाय पारेश्वर उपाध्यक्ष, रंजीत सिंह पारेश्वर, हृदय लाल पारेश्वर, रविशंकर पारेश्वर, समारू, दयाराम, गिरजा, नीरा बाई, गंगा अत्री, ललिता, छाया बाई, सावित्री, सुशीला, अग्नि कुमार ने बताया कि शासन एवं संबंधित अधिकारी द्वारा कोई उचित कार्यवाही ना होता देखकर आखिरकार ग्रामीणों द्वारा अपने गांव में ही चंदा कर उक्त निर्माणाधीन भवन को बनवाया है, यही नहीं निर्माणाधीन भवन के अलावा रसोई कक्ष को भी ग्रामीणों ने अपने ही खर्चों से बनवाया है।

इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है की छत्तीसगढ़ शासन और सरकारी कर्मचारी कितने लापरवाह है। छत्तीसगढ़ शासन शिक्षा की मजबूत करने के लाख दावे कर ले, परन्तु झापीमौहा स्कूल की हालत देखकर यही लगता है कि यह सब कागज तक ही सीमित है परन्तु जमीनी स्तर कुछ और ही दर्शाती है।
इस संबंध में साईं सरायपाली सरपंच को दूरभाष के माध्यम से संपर्क करना चाहा परन्तु उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया।
वहीं इस संबंध में साईं सरायपाली के सचिव कृष्ण कुमार बरिहा से भी जानकारी लेना चाहा परन्तु सचिव के भाई द्वारा बताया गया की वह फोन नहीं पकड़ते, यदि पंचायत के लोगो को सचिव से कुछ काम होता है तो रोजगार सहायक के माध्यम से संपर्क होती है