शीतकालीन सत्र में उठा शासकीय भूमि का मामला:विधायक नंद के प्रश्न पर पैकिन में अवैध खरीदी बिक्री की पुष्टि
1.62 हेक्टेयर वन भूमि बेची गई, जांच के घेरे में अफसर-कर्मचारी

हरिमोहन तिवारी रायपुर: सरायपाली तहसील में शासकीय बड़े झाड़ (वन) मद की भूमि की अवैध खरीदी-बिक्री का मामला विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उठने के बाद अब प्रशासनिक स्तर पर गंभीर जांच के दायरे में आ गया है।
सरायपाली विधायक नंद द्वारा लगाए गए प्रश्न के लिखित उत्तर में सरकार ने पहली बार स्वीकार किया है कि ग्राम पैकिन में शासकीय भूमि का नियमों के विरुद्ध अंतरण और विक्रय हुआ है। राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने सदन को अवगत कराया कि वर्ष 2023-24 से 25 नवंबर 2025 की अवधि में प्राप्त शिकायतों की जांच में पैकिन गांव स्थित
खसरा नंबर 606 एवं 610, कुल 1.62 हेक्टेयर, शासकीय बड़े झाड़ मद की भूमि की अवैध खरीदी-बिक्री सामने आई है। यह भूमि शासकीय पट्टे पर दी गई थी, जिसे नियमानुसार बेचा नहीं जा सकता।
खबरों से खुला मामला: जानकारी के अनुसार, इस मामले की शिकायत 20 व 21 अगस्त 2025 को प्रकाशित समाचारों के बाद दर्ज की गई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि भूमि का क्रय-विक्रय राजस्व अमले और पंजीयन प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों की मिलीभगत से कराया गया।
जांच में क्या निकला: अतिरिक्त तहसीलदार सरायपाली द्वारा की गई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि शासकीय पट्टे से प्राप्त वन भूमि का अवैध अंतरण, नामांतरण और विक्रय किया गया। जांच रिपोर्ट में संबंधित दस्तावेजों में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है।
किन पर गिर सकती है गाज: सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में तत्कालीन पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसील स्तर के लिपिकीय कर्मचारी और पंजीयन से जुड़े अधिकारी जांच के दायरे में हैं। यदि कलेक्टर
स्तर पर रिपोर्ट अनुमोदित होती है तो संबंधित नामांतरण रद्द, भूमि पुनः शासन के नाम दर्ज, दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई, तथा आपराधिक तत्व पाए जाने पर एफआईआर दर्ज किए जाने की संभावना है।
बालसी में फिलहाल राहत: सरकार ने सदन में यह भी स्पष्ट किया है कि ग्राम बालसी में शासकीय भूमि की खरीदी-बिक्री को लेकर कोई औपचारिक शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, हालांकि प्रशासनद्वारा रिकॉर्ड की सतर्कता से निगरानी की जा रही है।
विधायक नंद की मांग: विधायक नंद ने शीतकालीन सत्र में मांग की है कि सरायपाली बसना क्षेत्र में शासकीय भूमि के सभी पुराने मामलों की विशेष जांच कराई जाए, ताकि शासकीय भूमि की अवैध खरीदी-बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।
अगला कदम: अब पूरे मामले की निगाहें कलेक्टर महासमुंद के निर्णय पर टिकी हैं। कलेक्टर द्वारा रिपोर्ट पर कार्रवाई शुरू होते ही यह मामला जिले के सबसे बड़े राजस्व घोटालों में शामिल हो सकता है।