बसना मंडी में करोड़ों का काला खेल! 7 महीने तक नहीं जारी हुए सौदा पत्र, 750 टन धान के मंडी शुल्क में भारी हेराफेरी — RTI से खुला बड़ा राज, देखे वीडियो

देशराज दास बसना। अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद छत्तीसगढ़ प्रदेश महामंत्री महेंद्र साव ने आज एक प्रेस वार्ता में बसना मंडी में सामने आए बड़े घोटाले का खुलासा किया। महेंद्र साव ने बताया कि बसना कृषि उपज मंडी में सात महीने तक एक भी सौदा पत्र जारी नहीं हुआ, जिससे करोड़ों रुपए के मंडी शुल्क की बंदरबांट और हेराफेरी की आशंका गहराती जा रही है।
सात महीने तक बंद रहे सौदा पत्र
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 1 जनवरी 2025 से 1 जुलाई 2025 तक कृषि उपज मंडी बसना द्वारा किसी भी प्रकार का अनुबंध (सौदा पत्र) जारी नहीं किया गया। जबकि मंडी क्षेत्र में 100 से अधिक पंचायतें आती हैं, जहाँ के किसानों द्वारा हर साल रबी सीजन में लगभग 900 टन से अधिक उपज (धान) तैयार किया जाता है।
RTI ने खोला घोटाले का पर्दाफाश
महेंद्र साव ने बताया कि उन्होंने सूचना का अधिकार (RTI) के माध्यम से जानकारी मांगी थी, जिससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि मंडी कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार, सिर्फ 150 टन धान का ही सौदा पत्र जारी किया गया। जबकि इतना बड़ा क्षेत्र होने के बावजूद प्रति पंचायत औसतन मात्र 1.5 टन धान की बिक्री दिखाई गई है, जो कि किसान उपज और वास्तविक उत्पादन के बिल्कुल विपरीत है।
महेंद्र साव ने कहा व्यापारी और अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह
स्थानीय व्यापारियों द्वारा यह 150 टन धान ₹1200 से ₹1500 प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा गया।
सवाल यह उठता है कि जब मंडी क्षेत्र की कुल रबी उपज 900 टन से अधिक है, तो बाकी के 750 टन धान का क्या हुआ? महेंद्र साव ने आशंका जताई कि यह धान स्थानीय गोदामों और राइस मिलों में दबाकर रखा गया है,
ताकि आगामी खरीफ सीजन में इसे शासकीय समर्थन मूल्य (₹3100 प्रति क्विंटल) पर बेचकर भारी मुनाफा कमाया जा सके।
महेंद्र साव ने की जांच की मांग 
महेंद्र साव ने मंडी अधिकारियों और व्यापारियों की सांठगांठ की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा कि यह केवल वित्तीय हेराफेरी का मामला नहीं, बल्कि किसानों के हक पर डाका डालने जैसा अपराध है। यदि प्रशासन ने समय रहते संज्ञान नहीं लिया, तो संगठन जन आंदोलन और धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा।

 
				 
					