महासमुंद

महासमुंद: ज़िले में क़रीबन 4000 पोषण बाड़ियाँ चयनित

महासमुंद: अपनी बाड़ी की ताजी साग सब्जियों का मजा ही अलग है। कुपोषणता को दूर करने के साथ परिवार की अतिरिक्त आमदनी बढ़ाने में यह लाभदायक हो रही है। महासमुंद ज़िले में पोषण बाड़ी योजना के तहत ज़िले में पिछले वर्ष 3922 पोषण बाड़ियों को चिन्हित कर योजना का क्रियान्वयन किया गया है।

इनमें महासमुंद सहित विकासखंड बागबाहरा और सरायपाली में 785-785 पोषण बाड़ी का चयन किया गया। वही पिथौरा ब्लॉक में 783 तथा बसना में 784 पोषण बाड़ियाँ चयनित की गई। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण करने घर के समीप उपलब्ध भूमि पर फल, सब्जी एवं पुष्प की खेती कृषकों द्वारा कराया जाना ही सुराजी गांव योजना अंतर्गत बाड़ी की परिकल्पना का मुख्य आधार हैं।

योजनान्तर्गत महिलाओं/महिला स्व-सहायता समूह को तथा ग्राम के गरीब तबके और कमजोर वर्गों के परिवारों को जिनके घर पर बाड़ी के लिए जगह हैं, किन्तु बाड़ी की गतिविधि नहीं कर रहे है। उन्हें इस योजना का लाभ दिये जाने हेतु महासमुंद ज़िले में पोषण बाड़ियों का चिन्हित कर योजना बनाई गयी। इन बाड़ियों में सब्ज़ी-भाजी के साथ लगभग 60 हज़ार फलदार पौधें भी रोपें जा रहे है।

कृषि की दृष्टि के कम विकसित क्षेत्रों में नई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने और कृषि उत्पादन में वृद्धि के उपायों से जुड़े विभिन्न विषयों पर कृषि से जुड़े विभागों के ज़िला अधिकारियों द्वारा किसानों से चर्चा भी की जा रही है।

ज़िला उद्यानिकी द्वारा ख़रीफ़ सीजन को ध्यान रखते हुए चयनित ग्राम पंचायतों की पोषण बाड़ी योजना के तहत फलदार पौधें भी दिए जा रहे है। सब्ज़ी बीज मिनीकिट किसानों को दिए जा रहे है। इन बाड़ी से ग्रामीण परिवारों के अतिरिक्त आय में वृद्धि हो रही है।

भूमिहिनों को रोजगार के अवसर मिल रहे तथा कृषक परिवार का भोजन संतुलित भी हो रहा है। “पोषण बाड़ी विकास योजना“ में स्थानीय विभिन्न प्रजातियों के पौधों को बढ़ावा देना भी शामिल हैं। जिसमें भाजी की स्थानीय प्रजातियों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा हैं।

इसका प्रमुख कारण भाजियों में उपलब्ध पोषक तत्व हैं। भाजी के अधिकाधिक उपयोग से आयरन एवं आयोडीन की कमी को दूर किया जा सकेगा। सामान्य के साथ यह आदिवासी परिवारों का पर्यावरण से जुड़ते हुए आजीविका उपार्जन करने का सशक्त माध्यम यह योजना बन रही है। ग्रामीण परिवेश में आत्मनिर्माण लाने के लिए एवं कुपोषण मुक्ति में यह योजना कारगार साबित हो रही है।

Back to top button