आरटीआई के तहत जानकारी नहीं देने पर जप के शाखा प्रभारी से हुई वसूली, आवेदक को मिली निःशुल्क जानकारी
आवेदक को 709 पेज की जानकारी मिली निःशुल्क, फोटोकाॅपी खर्च को जनपद के शाखा प्रभारी ने की भरपाई

महासमुंद/बसना। सूचना के अधिकार कानून अंतर्गत आवेदक को 30 दिवस के भीतर जवाब नहीं देने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी ने आवेदक को निःशुल्क जानकारी देने एव छायाप्रति की राशि संबंधित अधिकारी से वसूली करने का आदेश दिया गया।
गौरतलब है कि बसना निवासी अपीलार्थी प्रकाश के. सिन्हा ने जनपद पंचायत बसना में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत 01 सितंबर को आवेदन के साथ निर्धारित शुल्क जमा कर वांछित जानकारी चाही गई। लेकिन जनपद पंचायत के जनसूचना अधिकारी ने 30 दिवस के भीतर जवाब नही देने पर श्री सिन्हा ने जिला पंचायत महासमुन्द के समक्ष 21 अक्टुबर 2020 को प्रथम अपील प्रस्तुत किया। जिस पर जिला पंचायत कार्यालय के पत्र क्रमांक/9845/सू.का.अ./जि.पं./2020 महासमुन्द दिनांक 18.11.2020 द्वारा प्रथम अपील की सुनवाई का सूचना पत्र जारी कर दिनांक 25.11.2020 को दोपहर 11ः00 बजे जिला पंचायत कार्यालय में प्रथम अपील की सुनवाई की गई।
उक्त सुनवाई तिथि में जनसूचना अधिकारी/मुख्य कार्यपालन अधिकारी बसना की ओर से शाखा प्रभारी के.के. दास उपस्थित रहे। प्रथम अपीलीय अधिकारी एस. के. लकड़ा परियोजना अधिकारी ने सुनवाई के दौरान अपीलार्थी को समय सीमा में 709 पृष्ठ की वांछित जानकारी उपलब्ध नहीं कराये जा सकने के कारण प्रति पृष्ठ 2.00 रूपये की दर से राशि 1418 को निःशुल्क प्रदाय करने का आदेष पारित किया गया। छायाप्रति की राशि को जनपद निधि से भुगतान करने पर प्रवीण कुमार खोब्रागढ़े शाखा प्रभारी (स्थापना), जनपद पंचायत बसना को पूर्णरूप से जिम्मेदार होने के कारण उक्त राषि वसूलकर किया गया।
सरकार से प्रश्न पूछने को अधिकार देता है आरटीआई
आरटीआई कार्यकर्ता प्रकाश सिन्हा ने बताया कि सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम को प्रत्येक नागरिकों को उपयोग करना चाहिए। इस कानून के तहत शासन-प्रशासन से लेकर सरकार से एक आवेदन के साथ प्रश्न कर सकते है। इसके अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है बस शर्त यह है की RTI के तहत पूछी जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए. विकास के कामो के लिए कितने पैसे खर्च हुए है और कहाँ खर्च हुए है, आपके इलाके की राशन की दुकान में कब और कितना राशन आया, स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल में कितने पैसे खर्च हुए है जैसे सवाल आप सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पता कर सकते है.