“न कोई चिंता न कोई टेंशन राधा नाम है दिल में मेंशन: शेषाचार्य जी महाराज

बसना: मेढापाली के भक्तो के द्वारा आयोजित पूज्य श्री शेषाचार्य जी महाराज के सानिध्य में 24फरवरी से 2 मार्च से 2022 तक प्रतिदिन दोपहर 1:00 बजे से 5:00 बजे तक स्थान मेढापाली पोस्ट बिछिया जिला महासमुंद छत्तीसगढ़
द्वितीय दिवस की भागवत कथा में अमर कथा एवं शुकदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया गया । कथा के द्वितीय दिवस पर सभी भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।भागवत कथा के द्वितीय दिवस की शुरुआत भागवत आरती से किया गया पूज्य पूज्य श्री शेषाचार्य जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि वो सौभाग्यशाली है जो भगवान के उत्सव अपने जीवन में मनाते है। संसार में आपने जो भी रिश्ते बनाये वो सब आर्टिफिशिल है सब झूठे है। जब तक शरीर रहेगा तब तक ये आपके सम्बन्ध बने रहेंगे कई तो शरीर रहते रहते छूट जाते है छोड़कर चले जाते है नहीं निभा पाते लेकिन जो कभी नहीं टूटता वो क्या है हमारे बाके बिहारी जी के साथ जो सम्बन्ध है न कोई चिंता न कोई टेंशन राधा नाम है दिल में मेंशन।
महाराज श्री ने आगे कहा कि भगवान के उत्सव में जो सम्मिलित न हो जो भगवान को अपना न माने जो भगवान से रिश्तेदारी न जोड़े उसने मनुष्य जीवन पाकर भी मनुष्य जीवन के रहस्य को मर्म को समझा नहीं। जो मनुष्य किसी अच्छे काम में लगा हुआ होता हैं आने वाले समय में उसका अंत कभी बूरा नहीं होता हैं।
शेषाचार्य जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति का कल्याण कैसे हो, राधारानी ने पूछा क्या आपने इनके लिए कुछ सोचा है। प्रभु बोले एक उपाय है हमारे वहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए और जब ये सुनेंगे तो इनका कल्याण निश्चित हो जाएगा। बात आई की कौन जाएगा, तो बोले की शुक जी जा सकते हैं, शुक को कहा गया वो जाने के लिए तैयार हो गए। श्री शुक भगवान की कथाओंका गायन करने के लिए जा रहे हैं तो मार्ग में कैलाश पर्वत पड़ा, कैलाश में भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं।
भागवत वही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी। कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता जब भगवान् भोलेनाथ से माता पार्वती ने उनसे अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा की जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा और कोई तो नहीं है क्योकि यह कथा सबको नसीब में नहीं है। माता ने पूरा कैलाश देख आई पर शुक के अपरिपक्व अंडो पर उनकी नज़र नहीं पड़ी। भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन मध्य में पार्वती जी को निद्रा आ गई और वो कथा शुक ने पूरी सुन ली। यह भी पूर्व जन्मों के पाप का प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है। भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती है। जीवन में श्याम नहीं तो आराम नहीं। भगवान को अपना परिवार मानकर उनकी लीलाओं में रमना चाहिए। गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी। धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो। जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी। संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है। क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है।
श्री शुक जी की कथा सुनाते पूज्य श्री शेषाचार्य जी महाराज ने बताया कि श्री शुक जी द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब शंकर जी ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए। कई वर्षों बाद व्यास जी के निवेदन पर भगवान शंकर जी इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान दे कर चले गए। व्यास जी ने जब श्री शुक को बाहर आने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि जब तक मुझे माया से सदा मुक्त होने का आश्वासन नहीं मिलेगा। मैं नहीं आऊंगा। तब भगवान नारायण को स्वयं आकर ये कहना पड़ा की श्री शुक आप आओ आपको मेरी माया कभी नहीं लगेगी ,उन्हें आश्वासन मिला तभी वह बाहर आए।
यानि की माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था। पर आज का मानव तो केवल माया का बंधन ही चारो ओर बांधता फिरता है। और बार बार इस माया के चक्कर में इस धरती पर अलग अलग योनियों में जन्म लेता है। तो जब आपके पास भागवत कथा जैसा सरल माध्यम दिया है जो आपको इस जनम मरण के चक्कर से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा।
श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर जड़भरत संवाद, नृसिंह अवतार, वामन अवतार का वृतांत सुनाया जाएगा।