छत्तीसगढ़

किसान चौपाल में जैविक कृषकों ने साझा किए अपने खेती के तौर-तरीके

छत्तीसगढ़ भूमि डेस्क :किसान सम्मेलन एवं पुरस्कार समारोह में खेतों से सीख विषय पर प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव बांटे

किसान सम्मेलन एवं पुरस्कार समारोह में ‘खेतों से सीख’ विषय पर प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव बांटे

किसान सम्मेलन एवं पुरस्कार समारोह में ‘खेतों से सीख (Lessons from the Fields)’ विषय पर जैविक कृषकों ने अपने अनुभव साझा किए। रायपुर के एक निजी होटल में आज आयोजित कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों ने अपने खेती के तौर-तरीके दूसरे किसानों के साथ साझा किए। रायपुर जिले के आरंग के किसान श्री ओमप्रकाश सेन ने बताया कि वे अपने तीन एकड़ खेत में धान की जैविक खेती करते हैं। जैविक खेती में रासायनिक खेती से ज्यादा फायदा है। जैविक उत्पादों की बाजार में अधिक कीमत मिलती है। इससे मिट्टी की सेहत भी अच्छी रहती है। उन्होंने बताया कि वे अपने खेतों में गोबर खाद और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करते हैं।

गन्ने की जैविक खेती करने वाले मुंगेली के किसान श्री श्रीकांत गोवर्धन ने जानकारी दी कि परिस्थिति के अनुसार गन्ने की उपयुक्त प्रजाति का चयन करना चाहिए। उन्होंने फसल में कीटों और फफूंदों को मारने के प्रभावी तरीकों के साथ ही बीमारियों के निदान भी बताए। श्री गोवर्धन ने कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों को अपनी फसल का प्रमाणीकरण संस्था से जैविक प्रमाणीकरण कराना चाहिए। इससे उत्पादों के विक्रय में सहुलियत होती है।

 ‘खेतों से सीख’ सत्र का संचालन करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ. एच.एल. सोनबोईर ने कहा कि अच्छी सेहत के लिए स्वस्थ फसल का चुनाव जरूरी है। स्वस्थ फसल के लिए मिट्टी भी स्वस्थ होनी चाहिए। मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने में जैविक खेती बहुत मददगार है।

 

  

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