राजनीतिक दबाव या विभागीय लापरवाही? फर्जी दस्तावेज़ से दिनेश कुमार प्रधान बने प्रधान पाठक पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई
शिक्षा विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा! आदेश में हेरफेर कर हासिल किया पद, जांच में खुलासा फिर भी FIR नहीं

पिथौरा। शिक्षा विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पिथौरा विकासखंड के शासकीय शिक्षक दिनेश कुमार प्रधान द्वारा वर्ष 2022 में स्थानांतरण आदेश में हेरफेर कर फर्जी तरीके से प्रधान पाठक का पद हासिल करने का मामला सुर्खियों में है। विभागीय जांच में फर्जीवाड़ा साबित होने के बाद 14 जून 2025 को उनकी पदोन्नति रद्द कर दी गई, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अब तक संबंधित शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
गौरतलब है कि दिनेश कुमार प्रधान ने वर्ष 2010 में गंभीर बीमारी का हवाला देकर निजी व्यय पर पितईपाली (बसना) से पिथौरा विकासखंड के खैरखुटा प्राथमिक विद्यालय में स्थानांतरण कराया जिसके बाद श्रीरामपुर स्कूल में अतिशेष शिक्षक के रूप में स्थानांतरित हुआ था। नियमों के मुताबिक ऐसे स्थानांतरण में वरिष्ठता समाप्त हो जाती है। बावजूद इसके 2022 में पदोन्नति प्रक्रिया के दौरान उन्होंने स्थानांतरण आदेश में हेरफेर कर “चिकित्सा कारण” हटाकर “प्रशासनिक कारण” जोड़ दिया और पदोन्नति हासिल कर अपने गृह ग्राम खैरखुटा में प्रधान पाठक के पद पर पदस्थापित हो गए।
स्वाभिमान न्यूज़ के अनुसार विभागीय जांच प्रतिवेदन में यह स्पष्ट हो चुका है कि दस्तावेज़ों में हेरफेर कर पदोन्नति ली गई थी। इसके बाद 14 जून 2025 को शिक्षा विभाग ने उनकी पदोन्नति शून्य घोषित कर उन्हें पुनः श्रीरामपुर शाला में भेज दिया।
हाईकोर्ट में भी उठी गूंज
इस पूरे प्रकरण को लेकर शिक्षक दिनेश कुमार प्रधान ने हाईकोर्ट, बिलासपुर में याचिका दायर की थी। लेकिन 25 जुलाई 2025 को सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि पदोन्नति आदेश पहले ही रद्द हो चुका है और याचिकाकर्ता अब इस आदेश को चुनौती नहीं देना चाहते। इसके चलते हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को वापस ले लिया और यह स्वतंत्रता दी कि वे चाहें तो 14 जून 2025 वाले आदेश के खिलाफ भविष्य में फिर से कानून का सहारा ले सकते हैं।
क्यों नहीं हुई कार्रवाई
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब फर्जीवाड़ा साबित हो चुका है तो संबंधित शिक्षक पर अब तक कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई अटकी हुई है। जबकि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर लाभ उठाना कानूनन अपराध है। ऐसे में शिक्षा विभाग की निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। क्या विभाग इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहा है?
वहीं जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे ने इस फोन कॉल रिसीव नहीं किया, वहीं विकासखंड शिक्षा अधिकारी लक्ष्मी डडसेना ने कहा कि उच्च अधिकारियों से प्राथमिकी दर्ज कराने का कोई निर्देश नहीं आया है। पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में और किसी भी प्रकार कि जाँच नहीं हो रही है l