रक्षाबंधन-क्या भाई बहन को वचन दे पायेंगा कि वह सरकार द्वारा कोरोना से बचाव और सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों का पालन सरकारी आदेश समझकर नही बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझकर निभाएंगा

हरिमोहन तिवारी रायपुर -आज पूरे देश व प्रदेश में रक्षाबंधन है, इस दिन बहन भाई की कलाई पर रक्षासुत्र बांधकर उसके उज्जवल भविष्य की कामना करती है और बदले में भाई ताउम्र बहन की रक्षा करने का वचन देता है।
- बहन का भाई से एक सवाल, क्या कोरोना हमसे ज्यादा शक्तिशाली है और क्या हम उसको नही हरा सकते
मामूली सा एक धागा रिस्तों को इतना मजबूती प्रदान कर देता है कि भाई बहन का रिस्ता बहुत प्रागड़ हो जाता है। लेकिन आज बदले हालात में कुछ बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी नही बांध पा रही है। जाहिर सी बात है कि भाई भी सुनी कलाईंयों को सहन नही कर पा रहे है। खासकर एक दूसरे से दूर रहने वाले भाई बहन आज इस स्थिति का सबसे ज्यादा सामना कर रहे है।
इसकी वजह है विश्व में फैली कोरना महामारी जो आज लोगो के सामने एक बडी चुनौती बनकर खडी है। अमीर-गरीब, छोटा-बडा सभी राष्ट्र और इंसान इस वैश्विक महामारी के आगे बौने नजर आ रहे है।
ऐसे में कलाई पर राखी बांधने को तरस रही एक बहन का भाई से सवाल है कि क्या कोरोना इतना शक्तिशाली है कि हम उसका सामना नही कर सकते और क्या हम उसे नही हरा सकते। एक बहन का लाखों भाईयों से किया ये सवाल बिल्कुल वाजिब है। जिसका जवाब आज नही तो कल हर भाई को देना ही पडेगा।
जिस तरह कोरोना संक्रमित मरीज बढ रहे है और लगातार मौते हो रही है, उस दौर में हर भाई को बहन के इस सवाल का जवाब तो ढुंढना ही पडेगा।
देखा जाए तो अभी तक कोरोना आम जनता की बीमारी नही है, बल्कि एक सरकारी बीमारी है। संपुर्ण भारत देश की बात की जाये तो अबतक केवल सरकार ही इसके लिए हायतोबा मचाती नजर आ रही है।
फिर चाहे बात बीमारी की रोकथाम की हो या फिर बीमारी के ईलाज की। फिलहाल केवल सरकार ही लोगो को इस बीमारी से बचाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करती नजर आ रही है।
आम जनता की भूमिका इसमें नाममात्र की ही नजर आती है। हालात ऐसे है कि सरकार द्वारा बनाए गए “दो नियम” दो गज की दूरी और चेहरे पर मास्क का पालन भी आम जनता ईमानदारी से करती नजर नही आती। सरकार के डंडे के डर से भले ही चेहरे पर मास्क लगा हो या फिर सोशल/फिजीकल डिस्टेंसिंग का पालन हुआ हो मगर अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी समझकर इन नियमों का पालन करने वालों की गिनती पुरे देश में उंगलियों पर गिनी जा सकती है।
देश में कोविड-19 के बारे में अच्छी जानकारी रखने वाले बुद्धजीवियों का दावा है कि यदि देश के सभी लोग ईमानदारी से सोशल/फिजीकल डिस्टेंसिंग का पालन करें और चेहरे पर अनिवार्य रुप से मास्क का उपयोग करें तो कोरोना को फैलने से ना केवल रोका जा सकता है बल्कि उसपर पुर्ण नियंत्रण भी पाया जा सकता है। सरकार इन्हीं दो नियमों को महत्वपूर्ण मानते हुए कभी लॉकडाउन तो कभी कंटेनमेंट जोन का सहारा लेकर आम जनता से इन नियमों का पालन कराने की कौशिश कर रही है। आम जनता इन नियमों का पालन कर रही है मगर केवल सरकारी आदेश मानकर अपनी जिम्मेदारी समझकर नही।
- अब ये सभी भलीभांति जानते है कि देश में नियमों का पालन कितनी सिद्धत से किया जाता है।ऐसे में रक्षाबंधन के दिन एक बहन की चिंता और भाई से किया सवाल दोनों वाजिब है। अब जवाब देने की बारी भाई की है। उस भाई की भी जो बहन से दूर बैठा है और चाहकर भी राखी बंधवाने बहन के पास नही पहुंच पा रहा है और उस भाई की भी जो अपनी कलाई पर बहन का रक्षासुत्र बंधावकर उसे वचन देने जा रहा है।
क्या भाई बहन को वचन दे पायेंगा कि वह सरकार द्वारा कोरोना से बचाव और सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों का पालन सरकारी आदेश समझकर नही बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझकर निभाएंगा। क्या हिम्मत जुटाकर बहन को कोरोना के हराने का वचन दे पायेगा। क्या सीना ठोककर बहन को कह पायेगा कि कोरोना हमसे ज्यादा शक्तिशाली नही है और हम उसे हरा देंगे।