
रायगढ़: 1 सितंबर को रायगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम का दूसरा सत्र प्रारंभ किया। कहते हैं जिसकी शुरुआत अच्छी हो तो आगे सब कुछ अच्छा होता है लेकिन मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम के बारे में लोगों का कहना है कि यह कार्यक्रम सफल तो रहा । क्योंकि प्रशासनिक, राजनीतिक अदूरदर्शिता और प्रबंधन से कई जगह लोग नाराज तो कई जगह उन्हें कोसते नजर आए।
नवापारा में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को असफल करने भाजपा ने पूरी तैयारी कर ली थी। नवापारा को भाजपा प्रभाव वाला गांव माना जाता है। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान कई तरफ से माइक देने की मांग उठने लगी। मुख्यमंत्री रेंडम्ली लोगों का चयन कर रहे थे जिससे उन्हें बात करना था लेकिन फिर भी वहां लोगों ने माइक नहीं देने का आरोप लगाया। लोगों के अनुसार वहां विधायक प्रकाश नायक ने माहौल संभालने की कोशिश की भी लेकिन लोगों ने वहां का माहौल, और मीडिया का ध्यान खींचकर कार्यक्रम की मिट्टी पलीद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इसी तरह पूर्वांचल के लोइंग गांव को भी अमूमन भाजपा के प्रभाव वाला गांव ही माना जाता है, लेकिन वहां मुख्यमंत्री ने लोगों से खुलकर बात की। एक युवक ने जब जाति प्रमाणपत्र न बनाए जाने की बात की तब तुरत सरपंच से मुख्यमंत्री ने पूछताछ शुरू कर दी। तब सरपंच ने बताया की युवक ने उन्हें आवेदन ही नहीं दिया था। कुल मिलाकर इस गांव में भेंट मुलाकात कार्यक्रम सफल हो गया।
इसके बाद जमुना इन चौक से चक्रधरनगर चौक तक रोड शो का कार्यक्रम था जिसमें अपेक्षित भीड़ का सर्वथा अभाव था। मुख्यमंत्री पैदल चल रहे थे उनके साथ उनका काफिला था लेकिन उस रोड में कुछ ही दुकानें हैं, एक बड़ा पैच खाली है। एक तरफ पॉलीटेक्निक कॉलेज की दीवारें दूसरी ओर कमला नेहरू पार्क। मुख्यमंत्री का यह रूट क्यों और कैसे बना किसी के समझ नहीं आ रहा है। लोग जहां होते हैं रोड शो वहां होता है लेकिन विरान गालियों में रोड शो का क्या औचित्य था पता नहीं।
इस बात में कोई दो मत नहीं की मुख्यमंत्री काफी लोकप्रिय हैं लेकिन उनके रोड शो में भीड़ की कमी उनके चाहने वालों को भी खल गई। चक्रपथ पर युवा कांग्रेस और आगे जयंत ठेठवार के साथ लोग जरूर दिखे लेकिन रोड शो के दौरान जितनी भीड़ होनी चाहिए थी वो नहीं दिखी।
रोड शो के रूट पर सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस नेता इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार बता रहे हैं। कई नेताओं का मानना है कि रोड शो के लिए रूट का चयन सही नहीं था। यहां संगठन और प्रशासन के बीच एक बड़ा गैप भी दिखाई दिया। कार्यकर्ता प्रशासन के कई फैसले से संतुष्ट नहीं थे। कांग्रेस कार्यकर्ता यहां तक कह रहे हैं कि प्रशासन ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की कोई जानकारी संगठन को नहीं दी।
बहरहाल कई लोगों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बाद सोशल मीडिया पर यह भी लिखा कि मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम के बाद यह तय हो गया की रायगढ़ विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए खतरे का संकेत है। हालांकि विधानसभा चुनाव दूर है और उसपर कोई निष्कर्ष अभी से निकलना जल्दबाजी है लेकिन दूसरे जिलों में मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम का जो प्रभाव पड़ा है उस छाप का अभाव रायगढ़ में देखने को जरूर मिला। इसके लिए राजनीतिक दूरदर्शिता, प्रशासनिक क्षमता और नेतृत्व की कमी साफ दिखती है।