रायपुर

SKS कम्पनी प्रबंधन की वादाखिलाफी क्यों बनी पुलिस बस में आगजनी की वज़ह? – भूपेंद्र निर्मलकर

रायपुर। वैसे तो छत्तीसगढ़ सरकार, छत्तीसगढ़ के उद्योगों में श्रमिकों के उचित वेतनमान और उनके अन्य सुविधाओं एवं सुरक्षा व्यवस्थाएं मुहैय्या कराने को लेकर अपनी गुणगान करते नहीं थकती।

मगर जमीनी सच्चाई को मापा जाए तो सरकार का इस क्षेत्र में योगदान श्रमिकों से कोसों दूर तक नज़र नहीं आती। यूँ तो पूरे प्रदेश के श्रमिक अपने साथ कम्पनी प्रबंधन द्वारा शोषण के आग में जल रहें हैं, मगर रायपुर के सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र के एसकेएस इस्पात में अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन में बैठे श्रमिकों के साथ एसकेएस कम्पनी प्रबंधन द्वारा वादाखिलाफी आक्रोशित होकर पुलिस वेन में आगजनी की वज़ह बन गई।

बताते चलें की लम्बे अन्तराल से एसकेएस इस्पात के श्रमिक उचित वेतनमान, ईपीएफ में गड़बड़ी के संसोधन और अन्य जरूरी सुविधाओं के मांगों को लेकर कम्पनी प्रबंधन से निदान के लिए गुहार लगा रहे थे। इसके विपरित सिवाय आश्वासन के कम्पनी प्रबंधन ने कुछ नहीं किया। जब श्रमिक अपने आपको ठगा महसूस करने लगे तो वे कम्पनी प्रबंधन के खिलाफ हड़ताल का हल्ला बोल दिए।

तकरीबन एक माह पहले श्रमिकों के हड़ताल के कारण कम्पनी में कार्य संचालन काम रूकता हुआ देख एसकेएस इस्पात प्रबंधन ने श्रमिकों के तमाम मांगों को मानने का वादा कर सभी श्रमिकों को काम पर लौटने की बात पर श्रमिकों ने हड़ताल खत्म कर दिया।
एक माह बाद वही कम्पनी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों के मांगों को बेबुनियाद बता कर उनकी मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया गया जिससे श्रमिक आक्रोश में आ गए और पुन: आन्दोलन पर बैठ गए।

आज 19 अगस्त को एसकेएस कम्पनी प्रबंधन ने श्रमिकों से मिलकर बात करने का आश्वासन दिया लेकिन प्रबंधन ने श्रमिकों से मिलना तो दूर उलटा पुलिस प्रशासन को सामने लाकर खड़ा कर दिया और वे श्रमिकों से बदसलूकी पर उतर आए। जिससे नाराज़ श्रमिकों ने उत्तेजित होकर पुलिस बस को आग के हवाले कर दिया। इस घटनाक्रम ने एसकेएस कम्पनी प्रबंधन को किसी भी विवाद के मुहाने से सरासर बचा कर ले गई और कम्पनी प्रबंधन द्वारा शोषित मजदूर ने श्रमिकों को सीधे पुलिस प्रशासन के आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया, और कुछ श्रमिकों को पुलिस गिरफ्तार कर कर ले गई। आखिर अब इस घटनाक्रम का जिम्मेदार कौन है?  जिससे छत्तीसगढ़ सरकार मौन होकर केवल देख रही है।

पहले से शोषित मजदूर अब अपने साथ न्याय की गुहार कहां लगाएगा ? या अब उन्हें गिरफ्तार हुए श्रमिकों के साथ न्याय के लिए दरबदर कहां-कहां नहीं भटकना पड़ेगा वो केवल ये शोषित श्रमिक ही जानेंगे। क्योंकि यहां के स्थानीय विधायिका और छत्तीसगढ़ सरकार अभी चैन की नींद सो रहे हैं या यूं कहें कि वे सत्ता के नशे म चूर हो रहे हैं।

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