बसना

बसना: सरफ खोल जंगल का चमत्कार: देवउठनी एकादशी पर बदल जाते हैं प्रकृति के नियम,साल में सिर्फ़ एक दिन गायब हो जाते हैं जंगली जानवर

आस्था और रहस्य का संगम: सरफ खोल जंगल में ऋषि की भविष्यवाणी आज भी सच होती है

महासमुंद/बसना: महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक अंतर्गत ग्राम ढालम के पास स्थित एक जंगल, जिसका नाम सरफ खोल’ है, अपने भीतर एक गहरा रहस्य समेटे हुए है। यह सिर्फ़ एक जंगल नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी एक ऐसी आस्था और चमत्कार का केंद्र है, जहाँ प्रकृति के नियम साल में सिर्फ़ एक दिन के लिए बदल जाते हैं।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, पूरे साल इस घने जंगल में जंगली जानवरों का इतना अधिक ख़तरा होता है कि दिन के उजाले में भी कोई भीतर जाने की हिम्मत नहीं करता। लेकिन, दीपावली के बाद आने वाली देवउठनी एकादशी के दिन, पूरा परिदृश्य आश्चर्यजनक रूप से बदल जाता है।

एकादशी का अनोखा चमत्कार
लोगों का मानना है कि देवउठनी एकादशी के दिन जंगल में एक भी जंगली जानवर—चाहे वह छोटा हो या बड़ा—दिखाई नहीं देता। इस एक दिन के लिए, मानो पूरा जंगल सुरक्षित हो जाता है। इसी कारण, इस विशेष तिथि पर आसपास के लोग बेख़ौफ़ होकर सरफ खोल’ जंगल की यात्रा करते हैं, और इसकी अनेक गुफाओं तथा प्राकृतिक सुंदरता का दीदार करते हैं।

ऋषि की भविष्यवाणी और ‘परछी मडप’ का रहस्य
जंगल के भीतर कई प्राचीन गुफाएं हैं, जिनमें से एक का नाम ‘परछी मडप’ है। इस गुफा की पहचान इसके चमकीले और चिकने,समतल पत्थरों से होती है। किंवदंती है कि बहुत साल पहले, देवउठनी एकादशी के दिन ही एक ऋषि यहाँ आए थे।

उस दिन ऋषि ने लोगों को यह आशीर्वाद दिया था कि आज के दिन से हर साल, देवउठनी एकादशी पर, यह जंगल और इसकी गुफाएं मानवों के लिए सुरक्षित रहेंगी। उन्होंने कहा था कि इस दिन किसी भी प्राणी से कोई ख़तरा नहीं होगा। इसके बाद, वह ऋषि कहाँ गए, यह कोई नहीं जानता,हो सकता है कि ऋषि आज भी उस जंगल के एक गुफा में हो जिस गुफा का कोई अंत नहीं है, उसी दिन से, यह परम्परा निर्बाध रूप से चली आ रही है।

रहस्यमई गुफा या स्वर्ग का रास्ता?
सरफ खोल’ जंगल का सबसे बड़ा अनसुलझा रहस्य इसकी एक और गुफा से जुड़ा है,जिसका नाम अंधियारी मड़प है, स्थानीय लोगों का मानना है कि इस गुफा के अंदर एक कुआँ है,जिसकी गहराई कितनी है कोई नहीं जानता,और यही कुआँ को स्वर्ग का रास्ता माना जाता है।इस कुएं से आगे 7 अलग अलग रास्ते है जिनका अंत कहा है कोई नहीं जानता,और यह गुफा बहुत ज्यादा अंधेरा है इसीलिए इसका नाम अंधियारी मड़प (गुफा) पड़ा,ऐसा स्थानीय लोगों का मानना है।हालाँकि, आज तक कोई भी व्यक्ति इस गुफा को पार करके इस रहस्य को सुलझा नहीं पाया है। यह अलौकिक धारणा इस क्षेत्र की धार्मिक और पौराणिक महत्ता को और बढ़ा देती है।

‘शरफ खोल’ का यह अनोखा रहस्य आज भी विज्ञान और आस्था के बीच एक प्रश्नचिह्न बनकर खड़ा है। यह केवल एक जंगल नहीं है, बल्कि परंपरा, विश्वास और प्रकृति के अप्रत्याशित व्यवहार की एक ऐसी कहानी है, जो हर साल देवउठनी एकादशी को जीवित हो उठती है।

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