छत्तीसगढ़

महिला बाल विकास अधिकारी- कर्मचारियों ने बच्चों के हिस्से पर डाला डांका, किसी भी आंगनबाड़ी के बच्चों को नही मिला पौष्टिक चिक्की का लाभ, अधिकतर महिला हितग्राहियों को भी नही दिया गया पोषण आहार व सूखा राशन

कोरबा(पाली). नौनिहाल बच्चों के हिस्से पर डांका कैसे डाला जाता है यह तो कोई महिला बाल विकास परियोजना पाली के अधिकारी- कर्मचारियों से सीखे जहां आंगनबाड़ी केंद्रों में अक्षरज्ञान सीखने वाले नौनिहालों व कुपोषित बच्चों को बांटने हेतु शासन से मिले पौष्टिक चिक्की का वितरण करने के बजाए अधिकारी- कर्मचारीगण मिलकर खुद हजम कर गए।इसके अलावा अधिकतर आंगनबाड़ियों में गर्भवती एवं शिशुवती हितग्राही महिलाओं को भी पोषण आहार के साथ सूखा राशन नही दिया गया।जिससे लाभार्थी हितग्राही वंचित रह गए।

इस संबंध पर सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार पोषण आहार निर्माण कर आंगनबाड़ियों को वितरण करने वाले जिले भर के समूहों का अनुबंध बीते माह जुलाई से समाप्त हो चुका है जहाँ अभी तक नए समूहों का अनुबंध नही किया जा सका है तथा पुराने समूहों से ही अस्थाई रूप से कार्य लिया जा रहा है और इसी का फायदा उठाते हुए महिला एवं बाल विकास पाली परियोजना के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा मिलकर कमाल करने में लगे है।जिसके तहत पाली परियोजना के अंतर्गत कुल 14 सेक्टर में संचालित सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्र में अक्षरज्ञान सीखने वाले बच्चों के लिए शासन से आए गुड़ एवं फल्लीदाना युक्त पौष्टिक चिक्की पर अधिकारी- कर्मचारियों ने मिलकर डांका डालते हुए खुद हजम कर लिया और जिस चिक्की का लाभ बच्चों को मिलना चाहिए था उसका मजा अधिकारी- कर्मचारियों ने लिया।

शायद शासन से मिलने वाली तनख्वाह से इनका पेट नही भरता इसीलिए तो नौनिहाल बच्चों एवं महिला हितग्राहियों के हक पर डांका डालते हुए खुद का पेट भरने जैसा कार्य किया गया।इसके अतिरिक्त अधिकतर आंगनबाड़ियों के लाभार्थी गर्भवती एवं शिशुवती महिला हितग्राहियों को भी पोषण आहार व सूखा राशन से भी वंचित रख दिया गया।

ज्ञात हो कि मानव जगत के लिए संकट भरे कोरोना महामारी से बचाव हेतु सरकार द्वारा अनेक प्रकार के दिशा- निर्देशों के साथ तमाम शिक्षण संस्था भी बंद पड़े है।जहाँ आंगनबाड़ी नौनिहालों के घर- घर जाकर उनके हिस्से का पोषण आहार एवं हितग्राही महिलाओं को सूखा राशन दिए जाने शासन आदेश के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा कार्य तो किया जा रहा है।

किंतु उनके नीचे के मातहमों द्वारा जिला प्रशासन की पहुँच से दूर होने का फायदा उठाते हुए पोषण आहार की आड़ में जमकर वारा- न्यारा किया जा रहा है और जरूरतमंदों को इस आहार का लाभ देने के बजाय खुद डकारकर पोषित हो रहे है।जिला प्रशासन द्वारा इस दिशा पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए महिला बाल विकास के माध्यम से संचालित कार्यों एवं योजनाओं की शुक्ष्मता से यदि जांच कराई जाए तो चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे।लेकिन इसी कमी की वजह से पाली परियोजना अमला खूब बेपरवाह होकर भ्रष्ट्राचार में डूबा है।

Back to top button