बसना को अनुभाग का दर्जा देने की मांग

बसना को तहसील का दर्जा 27 वर्ष पूर्व स्थानीयवासियो कि मांग पर मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदान किया था,लेकिन उसके बाद से स्थानीय नागरिक,जनप्रतिनिधि,अधिवक्तागण बसना को अनुभाग का दर्जा दिए जाने हेतु निरंतर मांग करते रहें हैं,बसना को अनुभाग का दर्जा न दिए जाने के कारण बसना पुलिस थाना तथा पुलिस चौकी भंवरपुर को 151,109,107(16)जा.फौ. के तहत कार्यवाही के लिए 20 कि.मी. दूर आरोपियों को ले जाने कि मज़बूरी होती हैं.

इसके अलावा पक्षकार, आमनागरिकों तथा अधिवक्तागणों को राजस्व सम्बन्धी मामले कि अपील अथवा अन्य कार्यवाही की पेरवी के लिए सराईपाली जाना होता हैं, जबकि सप्ताह में एक दिन केवल गुरुवार को ही लिंक कोर्ट अनुविभागीय अधिकारी का लगता हैं,उसमे भी अगर अनुविभागीय अधिकारी को आवश्यक प्रशासनिक कार्य हों तो राजस्व मामले कि तिथि आगे बढ़ जाती हैं.
बसना तहसील के सैकड़ो मामले विगत कई वर्षो से निरंतर सुनवाई और कार्यवाही के अभाव में पेंडिंग पड़े है,राजस्व संबंधी मामले में कसावट लाने के लिए बसना को अनुभाग का दर्जा दिया जाना अति-आवश्यक हों गया हैं,ज्ञात हों कि महासमुंद जिले के 5 तहसीलो में बसना को छोड़कर शेष तहसील(सराईपाली, पिथौरा, बागबाहरा, महासमुंद)को अनुभाग का दर्जा प्राप्त हैं,जबकि शासन कि मंशा नागरिकों को सुलभ और सस्ता न्याय दिलाने कि रही हैं,ग्रामीणजनो का मानना हैं कि राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी बसना में रहेंगे तो शिकायतों-समस्याओ के लिए सराईपाली जाना नहीं पड़ेगा।
इसके लिए पिछले दिनों अधिवक्ता संघ बसना के द्वारा मुख्यमंत्री के भेंट-मुलाक़ात कार्यक्रम सराईपाली रेस्ट हाउस में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बसना तहसील को अनुभाग का दर्जा दिए जाने हेतु निवेदन किया गया था.जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा बसना विधानसभा के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान उक्त मांग को स्वीकृत करने का आश्वासन दिया था. साथ ही तहसील कार्यालय के बाजु की खाली ज़मीन को सिविल कोर्ट के लिए कलेक्टर को निर्देशित करते हुए संज्ञान लेने कहाँ था उक्त मांगपत्र को बसना के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल साव,अध्यक्ष मुरलीधर साव,अनिक दानी,विजयध्वज जगदल्ला,सतीश सेंदरिया,नरेंद्र साव ,नीरज अग्रवाल उपस्तिथ हुए थे।