महासमुंद

महासमुंद : जिले के दो गौठानों बिरकोनी और गोड़बहाल में गौमूत्र की खरीदी हरेली पर्व से गौठान समिति करेगी गौमूत्र का क्रय

महासमुंद : गौ पालकों को गोबर के साथ अब गौ-मूत्र भी आय का जरिया होगा। हरेली पर्व 28 जुलाई से महासमुंद जिले की दो स्वावलंबी गौठानों बिरकोनी और गोड़बहाल से इसकी शुरूआत होगी। पहले गौमूत्र खरीदी के लिए बिरकोनी के साथ बड़गांव गौठान को चिन्हांकित किया गया था। आज उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं ने बताया कि अब गौमूत्र की खरीदी बड़गांव गौठान की जगह गोड़बहाल गौठान में होगी।

दोनांे गौठानों में गौमूत्र की खरीदी की सभी जरूरी तैयारी अंतिम दौर में है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गौमूत्र क्रय संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। गौठानों में गौमूत्र उसी पंचायत के पशुपालकों से क्रय किया जाएगा। इस हेतु गौठान समिति द्वारा समय सारणी निर्धारित की जाएगी।

गौठान प्रबंधन समिति द्वारा पशुपालकों से गौमूत्र का क्रय दर निर्धारण स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। न्यूनतम राशि 4 रुपए लीटर (परिवहन व्यय सहित) शासन द्वारा प्रस्तावित है। पशुपालक गौमूत्र का विक्रय स्वैच्छिक कर सकेंगे। गौमूत्र का क्रय लीटर के गुणांक में किया जाएगा। जिससे राशि भुगतान में कठिनाई न हो।

क्रय किए गए गौमूत्र की राशि का भुगतान गौठान प्रबंधन समिति द्वारा प्रत्येक 15 दिवस में हितग्राहियों को किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि जिले की गौठानों में 15352 मवेशी पंजीकृत हैं। बिरकोनी में 157 पशुपालक परिवार हैं। इसमें साईं स्व सहायता समूह गौठानों में विभिन्न गतिविधियां संचालित करती है। वहीं गोड़बहाल में 77 पशुपालक है। यहां नारी शक्ति स्व सहायता समूह सक्रिय है।

गौठानों में गौमूत्र गौठान समिति के जरिए खरीदा जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गौमूत्र में बॉयो फर्टिलाइजर और बॉयो इंसेक्टिसाइड तैयार किए जाते है। गौमूत्र में यूरिया सहित अनेक मिनरल और एन्जाइम्स भी होते है। फर्टिलाइजर के रूप में गौमूत्र इस्तेमाल से पौधों की ऊँचाई और जड़ में अच्छी वृद्धि होती है। मिट्टी में भी लाभकारी जीवाणु में वृद्धि होती है।

गौमूत्र का इस्तेमाल जैविक कीटनाशक बनाने में किया जाएगा। राज्य में कई जगहों पर जैव कीटनाशक पहले से बनाए जा रहे हैं। लेकिन अब इसे संगठित रूप दिया जा रहा है। गौमूत्र की खरीदी से पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी और उनकी आर्थिक स्थिति भी और बेहतर होगी। पशुपालकों को इससे फायदा होगा। सरकार के इस कदम से गाय की बेहतर सुरक्षा होगी। पशुपालकों की भी आय बढ़ेगी।

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