
महासमुंद/बसना। लोक निर्माण विभाग द्वारा बसना से गढ़पटनी पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य विगत 3 माह से करवाया जा रहा है जिसमें डामरीकरण का कार्य बारिश के उपरांत भी जारी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार लोक निर्माण विभाग के नियमों की मानें तो 15 जून के बाद सड़कों पर पूर्ण रुप से डामरीकरण को बंद करना होता है परंतु बावजूद इसके इसके आज पर्यंत डामरीकरण का कार्य लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर होते आसानी से देखा जा रहा है.
नियमत देखा जाए तो 15 जून के बाद सभी सड़कों में डामरीकरण का कार्य पूर्ण रुप से बंद हो जाना चाहिए जिसके बाद डामर करने पर उक्त डामर के ना चिपकने व सड़क से जल्द ही खराब होने के आसार होते जिसके चलते नियमावली के अनुसार 15 जून के बाद डामरीकरण का कार्य पूर्ण रुप से बंद हो जाता है.
एक और शासकीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग के किसी भी आला अधिकारी या कर्मचारी की बगैर मौजूदगी के उक्त डामरीकरण का कार्य मे.विनोद कुमार जैन के द्वारा करवाया जा रहा है जिस पर लोक निर्माण विभाग के सब इंजीनियर जोशी से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह तो रायपुर में हैं एवं जब डामरीकरण के संबंध में उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 100 200 मीटर लगभग डामरीकरण का कार्य बचा हुआ था जिसे आज पूर्ण करवाया जा रहा है वही लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता चंद्राकर से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि 15 जून के बाद डामरीकरण का कार्य नहीं होना चाहिए जिसे अभी तत्काल प्रभाव से उनके द्वारा बंद करवाया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग द्वारा इसी तरह अन्य सड़कों पर भी देखा जाए तो विभागीय लचरता के चलते डामरीकरण एवं अन्य कार्य और समय करवाने की बातें सामने आती रहती है जिस पर अधिकारियों के द्वारा संज्ञान न लिए जाने की स्थिति में निर्माण एजेंसियों द्वारा मनमाने ढंग से मुरूम करण मुरूम के उत्खनन एवं डामरीकरण आदि में लापरवाही पूर्वक कार्य करते हुए सड़कों का निर्माण जल्द पूर्ण करने के मकसद से उक्त कार्य को लापरवाही पूर्वक पूर्ण कर दिया जाता है जिससे सड़कें चंद माह में ही उखड़ने टूटने लगती है जिस पर ना तो लोक निर्माण विभाग गंभीर होता है और ना ही निर्माण एजेंसी।
जिसका खामियाजा उस क्षेत्र में रह रहे लोग एवं आवागमन हेतु उपयोग कर रहे लोगों को भुगतना होता है बता दें कि शासन द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण जन सुविधा के नजरिए से करवाया जाता है जिससे आम लोगों को आवागमन में समस्या ना हो परंतु निर्माण एजेंसी की लापरवाही एवं विभाग की लचरता के चलते सड़कों की सही बनावट ना होने के कारण सड़कें जल्द ही उखड़ने टूटने लगती है जिसके चलते शासन की राशि का दुरुपयोग तो होता ही है साथी साथ ही क्षेत्र में रह रहे लोगों को समस्याओं के साथ इसकी भरपाई करनी पड़ती है जिसकी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी आखिर किसकी होती है?