छग जर्नलिस्ट वेल्फेयर युनियन प्रदेश महासचिव वरिष्ठ पत्रकार सेवक दास दिवान ने दिया इस्तीफा,जाने वजह

सेवक दास दिवान की जुबानी सभी क़लमकार साथियों को सादर नमस्कार
छग जर्नलिस्ट वेल्फेयर युनियन की स्थापना 09 दिसम्बर 2018 को राजनांदगाँव की पावन धरा मे हुई।मै संस्थापक प्रदेश महासचिव बना।मैने लगातार तन मन धन से संगठन को विस्तार करने मे लगाया।मै पुरे प्रदेश का दौरा किया। सदस्यता फार्म से लेकर युनियन का सभी राशि प्रदेश अध्यक्ष के पास गया।युनियन का फेडरल बैंक रायपुर खुलवाया गया।लेकिन उक्त खाते मे पैसा नहीं मंगाया गया।मै एक प्रदेश महासचिव जरूर रहा लेकिन सारा कागजात अपने पास रखा।
आज भी मेरे पास कुछ भी नहीं है।यहां तक लेटर हेड सील सभी प्रदेश अध्यक्ष के पास है।बीते तीन सालों में कोई हिसाब किताब नहीं हुआ। डायरेकट्री बनाने के लिए राशि पूरे प्रदेश से विज्ञापन के रूप में लिया गया।लेकिन आज तक डायरेकट्री नही बन पाया।सदस्यता फार्म काआजतक कोई ब्यौरा नही दिया गया।युनियन में पारदर्शिता नहीं बरती गई।इसके बावजूद भी तीन वर्ग तक हमने कुछ नहीं कहा। किसी संगठन को चलाने के लिए पारदर्शिता आवश्यक है।प्रदेश महासचिव का मान सम्मान नहीं रहा तो आप समझिये कि अब क्या हो सकता है।
लोकतंत्र की परिभाषा को खत्मकर राजतंत्र के हिसाब से युनियन को चलाना कहाँ तक उचित है। मेरे वैवाहिक वर्षगाँठ पर बिलाईगढ से पत्रकार साथी आये थे बधाई देने उन्हें युनियन से बाहर कर दिया।क्या यही युनियन है।प्रदीप देवांगन पत्रकार साथी बिलाईगढ जिनकी माता जी घर के सामने आरती उतारकर घर मे ससम्मान प्रवेश कराती है और सुंदर भोजन कराती है।उसी के बेटे का पैसा वापस कर युनियन से बाहर कर दिया जाता है क्या यही संगठन है।
मेरे वैवाहिक वर्षगाँठ पर पत्रकार साथी आकर बधाई व शुभकामनाएँ देते हैं तो इन्हे तकलीफ होती है क्या यही संगठन है। आप सभी बुद्धिजीवी हैं।आपका विवेक जो कहता है वही करिये । लेकिन इतना ध्यान रखिये।एकाधिकार से युनियन को चलाना कतई उचित नहीं है। प्रदेश महासचिव होने के बावजूद मेरे पास न रजिस्टर सीला लेटर हेड कुछ भी नहीं है।संगठन के तीन साल तक अपना बहुमुल्य समय के साथ साथ पैसा लगाया।पुरे प्रदेश का दौरा किया।लेकिन उसके बदले अपमान मिला।मेरे अपने विचार है जिन्हे आप सभी के सामने रखा। आप सभी पुनः सादर नमस्कार