अग्रवाल नर्सिंग होम बसना के डॉक्टरों ने सरायपाली के 1 साल के बच्चे को वेंटिलेटर पर रखकर बचाई जान. बिच्छू ने मारा था डंक

सरायपाली के वार्ड नंबर 8 में 1 वर्ष के बच्चे को बिच्छू ने डंक मार दिया. जिसके बाद बच्चे को इलाज हेतु अग्रवाल नर्सिंग होम बसना लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसकी जान बचा ली है. जानकारी के अनुसार 26 नवम्बर को बिच्छू के डंक की चपेट में आने के कारण बच्ची की हालत गंभीर हो गई थी.
हॉस्पिटल पहुँचते तक बच्चे की हालत और भी गंभीर हो गई थी बच्चे की सांस बहोत तेज चल रही थी. बच्चे के पिता ने बिच्छू को डंक मारते हुए देखा था, जिसकी जानकारी उन्होंने डॉ. को दी. इसके बाद जब जाँच की गयी तो बच्चे में बिच्छू काटने के लक्षण मौजूद थे. बच्चे को काफी पसीना आ रहा था, साँस लेने की तकलीफ के साथ सुगर, ब्लडप्रेशर भी अधिक बढ़ चूका था.
जिसके चलते डॉ. अमित अग्रवाल ने बच्चे को तत्काल वेंटिलेटर पर रख इलाज करना शुरू किया. और धीरे-धीरे दो से तीन दिन में उसे वेंटीलेटर से बाहर निकाला गया. और शुगर, बीपी कंट्रोल किया गया. और लगभग 4 से 5 दिन तक के डॉक्टरों के अथक प्रयास से बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया.
डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि जैसे सांप के काटने पर लगाये जाने वाला एंटी स्नैक वेनम मौजूद है, लेकिन बिच्छू के काटने वाला एंटी डोज उपलब्ध नहीं है, केवल लक्षण के आधार पर दवाई और वेंटीलेटर की साहयता से इसका इलाज किया जा सकता है यदि समय रहते मरीज अस्पताल पहुँच जाये तो.
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित ने बताया कि बिच्छू के डंक के बाद कई लोग और परिजन झाड़-फूक पर भरोषा करते हैं और देर से अस्पताल पहुँचते हैं जिस समय बचाना मुश्किल होता है. इसलिए ऐसे समय में जल्द से जल्द मरीज को किसी पास के स्वास्थ्य केंद्र, नर्सिंग होम या हॉस्पिटल जल्द से जल्द ले जाना चाहिये.
बिच्छू के काटने के बाद झिलमिला सरायपाली के निवासी राजेश प्रजापति ने बिना देरी किये तत्काल अपने 1 साल के बच्चे को लेकर अग्रवाल नर्सिंग होम बसना पहुँच गए. जहाँ बच्चे को वेंटिलेटर पर रखकर उसे बचाया गया. यदि परिजन अंधविश्वास में पड़ते तो बच्ची को खतरा बढ़ सकता था.
बिच्छू का जहर भी सांप की तरह खतरनाक होता है इसके काटने से वेंटिलेटर युक्त अस्पताल पहुंचने पर पीड़ित की जान बचाना आसाना होता है. इसलिए पीड़ित को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना जरूरी होता है.