रसोइयों के मानदेय में वृद्धि की जाए ! छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ की मांग कम पैसे में परिवार चलाना कठिन कार्य:ओम नारायण शर्मा

महासमुंद. राज्य के शासकीय विद्यालयों में पढने वाले बच्चों को गर्म मध्यान्ह भोजन पकाकर खिलाने वाले रसोईयों की आर्थिक दशा पर सरकार की चुप्पी के चलते उन्हें भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है उनकी मांगों के प्रति सरकार गंभीर नहीं दिखाई देतीं |
रसोईये शाला खुलने की अवधि से लेकर मध्यान्ह भोजन की अवधि तक विद्यालयों में लगातार सेवा देते हैं, चूँकि कार्य का यह समय ऐसा है कि यहाँ उपस्थिति के कारण वे अन्य स्थान पर अन्य कार्य जैसे दैनिक मजदूरी आदि भी नहीं कर सकते अतः केवल मध्यान्ह भोजन पकाने के लिए ही अपना समय समर्पित करते हैं प्रतिदिन लगभग 4 से 5 घंटे ड्यूटी के बाद एक माह में केवल 1200 रूपये की उपलब्धता से परिवार पालना संभव प्रतीत नहीं होता तथा यह किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं है |
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए दैनिक मजदूरी दर की घोषणा की जाती है जो कि वर्तमान वर्ष में 190 रुपये से अधिक है इस आधार पर यदि कम से कम 20 दिन भी विद्यालय लगता है तो उनकी मजदूरी लगभग तीन हजार आठ सौ रुपये से अधिक होता है परन्तु केवल 1200 रुपये देकर सरकार मध्यान्ह भोजन के नाम पर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान रही है |
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष ओम नारायण शर्मा द्वारा उक्त बातें कहते हुए बताया गया है कि यह अल्प मानदेय रसोइयों के श्रम के साथ अन्याय है तथा निर्धारित दर से कम मजदूरी भुगतान करना संवैधानिक नहीं है | इतने कम पैसे में 4 से 5 घंटे ड्यूटी करके बच्चों को साफ़ सुथरा व गर्म भोजन पकाकर खिलाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है अतः उनके कार्य के अनुरूप उनके मानदेय में दैनिक मजदूरी सीमा को ध्यान में रखते हुए वृद्धि किया जाना चाहिए ताकि वे और भी उत्साह के साथ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन खिलाने में समर्पित बने रहें |
संघ ने वर्तमान मानदेय को रसोईयों के द्वारा किये जाने वाले कार्य के घंटों के अनुरूप बहुत कम बताते हुए छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है कि संवेदनशीलता के साथ रसोइयों के मानदेय पर विचार करते हुए निर्धारित मजदूरी दर के अनुसार मानदेय में वृद्धि कर उनका भुगतान किया जाना चाहिए|