
बसना। महासमुंद जिले का ऐसा सरकारी हॉस्पिटल, जहां प्राइवेट हॉस्पिटल से बेहतर सुविधा युक्त मिल रहा इलाज, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी दवाखाने की हालत किसी से छुपी नहीं है। वैसे तो सरकारी अस्पतालों में इलाज व सुविधाओं के नाम पर जहां दिखावा होता है। वही दूसरी ओर लोग सरकारी अस्पताल को छोड़ कर निजी अस्पतालों का रुख कर लाखों खर्च करते है। ऐसा ही एक सलडीह के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने इस कथन को तोड़ा है। जहाँ डॉक्टर व स्टॉफ के सामूहिक प्रयासों से सरकारी हॉस्पिटल प्राइवेट से कम नहीं है….!
जिला मुख्यालय से दूरस्थ अंचल में बसा सलडीह गांव जहाँ के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में वर्षों पहले इस सरकारी हॉस्पिटल में मरीज आने के लिए कतराया करते थे, मुश्किल से महीने में 5 सामान्य चेकप व 1 से 3 डिलीवरी केश आते थे, लेकिन अब हर प्रकार के मरीज इलाज करवाने पहुंचते हैं। प्रति माह 15 से 20 डिलीवरी केश आते है, इलाज के बाद मरीजो को सरकारी दवाइयों के लाभ बताकर हॉस्पिटल से ही दवाई उपलब्ध करवाई जाती है….! हॉस्पिटल में पहले सिर्फ 3 स्टॉफ थे, आज 9 स्टॉफ है, जिसमे से 4 नियमित और 5 संविदा व जीवन दीप समिति से है, स्टॉफ नर्सो का काम, मरीजो के हॉस्पिटल में प्रवेश करते ही उनसे सरलता, नम्रतापूर्वक बाते करना और उनके स्वास्थ्य के बारे में पूरी जानकारी लेना, फिर उनके बीमारी के अनुसार सम्बन्धित डॉक्टरों के पास भेजना, सफाई व्यवस्था हेतु सभी कमरों व सार्वजनिक स्थानों में कूड़ादान रखा गया है, सफाई व्यवस्था देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि ये सरकारी हॉस्पिटल नही बल्कि एक प्राइवेट हॉस्पिटल हो। मरीजों के लिए आर ओ जल सुविधा, गर्मी से राहत दिलाने के लिए सभी कमरों व सार्वजनिक स्थानों में कूलर की व्यवस्था, हॉस्पिटल के सभी दीवारों में सुविचार लिखा गया हैं,
इस हॉस्पिटल का खास बात यहाँ है कि हॉस्पिटल में आने वाले मरीजो का दो पर्ची बनाई जाती हैं एक पर्ची मरीज स्वयं रखता है और दूसरा हॉस्पिटल स्टॉफ जिससे वे मरीजो का समयावधि होने पर उनको फोन के माध्यम से सम्पर्क किया जाता हैं, और उनसे उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली जाती हैं, विशेष दिनों में सरकार के स्वास्थ्य सम्बंधित लाभकारी योजनाओं को ग्रामीणों को बताया जाता है। विशेष बात यह है कि डॉ मनीष कुमार भारद्वाज दिल्ली में विशेष शिविर में शामिल होकर मस्तिष्क रोग विशेषज्ञों द्वारा अध्ययनरत है। जिसका लाभ अंचल के लोग उठा रहे हैं।